जप्ती सूची में घटनास्थल से दो खोखे बरामद की बात
बेगूसराय के भाजपा नगर विधायक कुंदन कुमार महापौर उपेंद्र सिंह एवं अतुल कुमार के मामले में प्रभारी सीजेएम किरण चतुर्वेदी के न्यायालय में आज सुनवाई हुई। सिटी न्यूज़ के ब्यूरो चीफ सूचक सुमित कुमार की ओर से न्यायालय में प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की गई ।बहस करते हुए सूचक के अधिवक्ता ने न्यायालय से इस मामले को प्रोटेस्ट पेटिशन पर चलाने का निवेदन किया जबकि भाजपा विधायक की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं ने इसका विरोध करते हुए कहा कि प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल करने का यह स्टेज नहीं है। दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई। चुकि न्यायालय में सूचक सदेह उपस्थित नहीं थे इसलिए मामले को अगली सुनवाई के लिए टाल दी गई ।आपको बता दें कि बेगूसराय के सिटी न्यूज़ ब्यूरो चीफ सुमित कुमार उर्फ सुमित वत्स ने तीनों के विरुद्ध अंतर्गत धारा 447 ,448, 506 ,34 भारतीय दंड विधान एवं 27 शस्त्र अधिनियम में नगर थाना कांड संख्या 553 /2020 दर्ज कराई है। इस मामले के अनुसंधानकर्ता ने इस मामले को अनुसंधान किया और घटना को सत्य पाया परंतु सूत्रहीन पाते हुए न्यायालय में फाइनल फॉर्म सत्य और सुत्रहीन करके दाखिल किया है। सूचक सुमित कुमार ने भाजपा नगर विधायक कुंदन कुमार महापौर उपेंद्र सिंह और अतुल कुमार पर आरोप लगाया है कि जलजमाव समस्या को लेकर उसने खबर प्रसारित किया तत्पश्चात फेसबुक पर भाजपा नगर विधायक कुंदन कुमार के संबंध में न्यूज़ प्रसारित की उसके बाद सूचक के मोबाइल पर फोन करके गाली गलौज और जान मारने की धमकी दिया गया। इसके बाद 12 अक्टूबर 2020 को सूचक ने नगर थाना में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अनुरोध किया। आवेदन देने के बाद 12 अक्टूबर को ही रात्रि 11:00 में नगर निगम के महापौर उपेंद्र सिंह और उनके पुत्र भाजपा नगर विधायक कुंदन कुमार के इशारे पर अतुल कुमार अपने एक सहयोगी के साथ सूचक के कार्यालय सह आवास पर गोलीबारी किया। पुलिस को घटनास्थल पर दो खोखा भी मिला था। जानकार बताते हैं कि आज अगर सुचक की ओर से प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल नहीं की जाती तब अनुसंधानकर्ता के द्वारा दाखिल फाइनल फॉर्म को न्यायालय स्वीकार कर लेती और यह मामला आज समाप्त हो जाती। मगर सूचक के द्वारा दाखिल प्रोटेस्ट पेटिशन ने इस मुकदमा में एक नया मोड़ ला दिया है। फाइनल फॉर्म दाखिल के बाद प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल करने पर न्यायालय द्वारा स्वीकार्य है या नहीं इस पर कानून के जानकारों की अलग-अलग मत हैं। कुछ जानकार का कहना है कि फाइनल फॉर्म न्यायालय में दाखिल करने से पूर्व प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल होनी चाहिए जबकि कुछ जानकार का कहना है कि फाइनल फॉर्म स्वीकार करने से पूर्व अगर प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की जाती है तो न्यायालय उसको स्वीकार कर सकती है।
राजेश सिंह, विधि संवाददाता